Monday 10 August 2015

प्रथम विश्व युद्ध कालीन तोप : नरेन्द्र नगर, टिहरी गढ़वाल



प्रथम विश्व युद्ध कालीन तोप : नरेन्द्र नगर, टिहरी गढ़वाल

        
          ऋषिकेश से से 15 किमी. आगे गंगोत्री मार्ग पर ऊँचाई में बसे नरेन्द्र नगर में महाराजा के महल, अब होटल आनंदा, के प्रवेश द्वार पर रखी इस तोप को देखा तो इस पर बैठकर तस्वीर लेने का लोभ संवरण न कर सका. ये तोप अन्य किलों में रखी गयी तोपों के मुकाबले कुछ आधुनिक लगी !! 
        पहले इसे परेड ग्राउंड में रखा जाता था. 1919 में टिहरी रियासत के महाराजा नरेन्द्र शाह ने राजधानी को टिहरी से स्थानांतरित कर नरेन्द्र नगर, तत्कालीन नाम ओडाथली, को राजधानी बनाया.     यह स्थान तत्कालीन परिस्थितियों में निचले मैदानी क्षेत्र की तरफ से आक्रमण के समय रियासत की सुरक्षा के लिए सामरिक दृष्टि से ऊँचाई पर स्थित बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था. 
        शिवालिक पर्वत श्रृंखला के चरणों में बसे, प्राकृतिक छटा से भरपूर, नरेन्द्र नगर का ऐतिहासिक महत्व भी है ऋषि उद्धव ने इस स्थान पर कठिन तपस्या की थी तथा ज्योतिष शास्त्र के जनक पुरस्र ने नरेन्द्र नगर में ही ग्रहों और तारों की गति पर कई अनुसन्धान किये थे, उनकी वेधशाला आज राजकीय पॉलीटेक्निक में परिवर्तित हो चुकी है... इस महल में लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी, माँ आनंदमयी, स्वामी शिवानन्द , लार्ड माउंटबेटन जैसे लोग आ चुके हैं
            ये तोप टिहरी रियासत पर तैमूर रंग , तुगलक व मुगलों द्वारा किये गए आक्रमण के काफी बाद प्रथम विश्व युद्ध के समय की निर्मित  तोप है.मुझे नहीं लगता इसका प्रयोग महाराजा व वॅायसराय को सलामी देने के अतिरिक्त किसी युद्ध में हुआ हो !! 

        इससे पहले इससे मिलती जुलती ,लेकिन विश्व की सबसे बड़ी तोप जयगढ़ दुर्ग,जयपुर ,राजस्थान में देखी थी।

No comments:

Post a Comment