Sunday 30 August 2015

लाल किला, बार्बिकन : दिल्ली


       

लाल किला, बार्बिकन : दिल्ली

संवारा था हुस्न को तो बहुत दिलो जान से
   कोई नकाब डाल दे ! हुस्न की क्या है खता !!
.. विजय जयाड़ा
           सन 1648 में शाहजहाँ द्वारा उस समय दस करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवारों की लम्बाई 2.5 किमी. है. कुल निर्माण लागत में से आधी धनराशि महलों की आतंरिक सजावट व बागों को बनवाने पर खर्च की गयी थी !! 
           जिस स्थान पर तिरंगा लहरा रहा है इसके ठीक नीचे किले में प्रवेश हेतु मुख्य द्वार लाहौरी दरवाजा है जो बहुत ही कलात्मक तरीके से बनाया गया है, सामने से दरवाजे के कलात्मक सौंदर्य को ढ़कती, नीची दीवार (Barbican) दिखाई दे रही है, (इस पर हरी घास स्पष्ट दिखाई दे रही है) स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री, प्रतिवर्ष इसी प्राचीर (बार्बिकन) से राष्ट्र को सम्बोधित करते हैं। इसे लाल किला निर्माण के बाद औरंगजेब ने किले की अतिरिक्त सुरक्षा के लिए बनाया था जिससे आक्रमणकारी सीधे मुख्य दरवाजे पर हमला न कर सकें..
        औरंगजेब द्वारा आगरा लाल किले में कैद किये गए स्वयं के पिता शाहजहाँ को इस बार्बिकन के बनने की जानकारी मिलने पर बहुत दुःख हुआ था !!
शाहजहाँ ने आगरा से बेटे औरंगजेब को ख़त लिखा ...” लाहौरी दरवाजे के आगे दीवार (Barbican) बनाकर तुमने अच्छा नहीं किया, तुमने दुल्हन की सुन्दरता को हमेशा के लिए परदे से ढक दिया ! मुझे इसका बहुत दुःख है !! "
 
 

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