Monday 3 August 2015

मौन खड़ा अतीत !! उत्खनन स्थल वीरभद्र, ऋषिकेश

    
मौन खड़ा अतीत !!
 उत्खनन स्थल वीरभद्र, ऋषिकेश



           इससे पूर्व मैंने इस कुषाण काल, गुप्तकाल व उत्तर गुप्तकाल के अवशेषों को संजोये, वीरभद्र क्षेत्र, ऋषिकेश के पास इस उत्खनित स्थल की जानकारी दी थी. आजकल शिव मास, सावन में चारों ओर वातावरण शिवमय हो गया है ।
           इस स्थान पर बैठा कल्पना लोक में विचरण करता हुआ सोच रहा हूँ कि कभी 2000 साल साल पहले आबाद हुए और 1200 वर्ष पूर्व अज्ञात कारणों से लुप्त सभ्यता व संस्कृति के इस शैव महानगर क्षेत्र के अंतर्गत इस स्थल पर भी सावन में उत्सव का माहौल रहता रहा होगा ! चारों तरह, बोल बम.. हर हर महादेव के गगनभेदी जयकारे लगते रहे होंगे !! स्थल पर ही वर्तमान में विद्यमान हवन कुंड में यज्ञ आहुतियाँ दी जाती रही होंगी !! उस काल में यहाँ शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बनता रहा होगा !!
          लेकिन आज वही शिवलिंग वियावान में है !! भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन, इस स्थल पर कोई धार्मिक गतिविधि नहीं है. इतिहास भी मानो जमींदोज हो गया !!
          इस स्थल से 100 मीटर की दूरी पर लगभग 1300 वर्ष पुराना वीरभद्र महादेव का मंदिर जो की पौराणिक अवशेषों के ऊपर बना है, वहां आज भी सावन में शिवभक्तों का तांता लगा रहता है !!
सोचता हूँ !! यदि इस क्षेत्र की 2000 वर्ष पुरानी सभ्यता व संस्कृति अज्ञात कारणों से लुप्त न हुई होती तो उत्खनित स्थल का महत्व बरक़रार रहता !! श्रद्धालुओं को इस शिवलिंग में साक्षात शिव अनुभूत होते !! यह स्थान भक्तिमय व भव्यता लिए होता !!
         आज भी ये धरोहर, 2000 वर्षों के अतीत की खट्टी- मीठी यादों को संजोये खुले असमान के नीचे, मौन है !! स्थिर है !!
         साहिर लुधियानवी साहब के गीत की पंक्तियां..
                                         "अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
                                                रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है "

     .........बरबस ही होठों पर आ गई !! अंधेरा घिरने के साथ ही इस धरोहर से रुखसत ली और समीप ही स्थित पौराणिक वीरभद्र मन्दिर की तरफ रुख किया।  
03.08.15


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